Organic Farming: जैविक खेती किसे कहते हैं, जैविक खेती के लाभ, जैविक खेती के बारे में जानकारी, 2024

Organic Farming: जैविक खेती, खेती करने की वह विधि होती है, जिसमें संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों का उपयोग न्यूनतम रूप से किया जाता है तथा जो भूमि की उर्वरता क्षमता को बनाए रखने के लिए फसल चक्र, हरी खाद, कंपोस्ट आदि का प्रयोग किया जाता है, उसे जैविक खेती कहा जाता है। विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफी हद तक बढ़ चुका है।

Organic Farming: जैविक खेती किसे कहते हैं, जैविक खेती के लाभ, जैविक खेती के बारे में जानकारी, 2024
Organic Farming: जैविक खेती किसे कहते हैं, जैविक खेती के लाभ, जैविक खेती के बारे में जानकारी, 2024

Organic Farming | जैविक खेती

ऐसी कृषि जिसमें लंबे समय व स्थिर उत्पादन प्राप्त करने के लिए कारखानों में निर्मित रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवारनाशी तथा वृद्धि नियंत्रक आदि रसायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है और हरी खाद गोबर आदि का इस्तेमाल किया जाता हो तथा मिट्टी एवं पर्यावरण प्रदूषण से नियंत्रित हो ऐसी खेती जैविक खेती कहलाती है।

जैविक खेती क्या है | What Is Organic Farming?

अगर हम सरल भाषा में बात करे तो जैविक खेती यानी Organic Farming में किसी भी तरह के कीटनाशकों, रसायनो का उपयोग नहीं किया जाता हैं। Organic Farming) जैविक खेती में सिर्फ जानवरो से बनने वाले खाद जैसे पशुओं से निर्मित खाद, मुर्गी पालन, हरा खाद आदि का प्रयोग किया जाता हैं। इससे भूमि को नुकसान नहीं होता है और भूमि उपजाऊ बनी रहती हैं |

Organic Farming | जैविक खेती कैसे करें (विधि)

जैविक खेती करने के लिए खेत की तैयारी:- जैविक खेती करने के लिए खेतों में रसायनिक और अन्य हानिकारक उर्वरकों के स्थान पर जैविक खाद जैसे गोबर कंपोस्ट आदि का इस्तेमाल किया जाता है। Organic Farming) गोबर की खाद बनाने के लिए 3 फीट चौड़ा और 5 फीट गहरा तथा 15 से 20 फुट की लंबाई वाला गड्ढा खोदकर एक प्लास्टिक का तिरपाल बिछा दे। फिर उस खड्डे में फलों सब्जियों के अवशेष आदि डालकर उस पर गोबर तथा पशुओं के मूत्र आदि डाल दीजिए।

गोबर डालकर गड्ढे को पूरा भर दे ध्यान रहे, कि वह पूरा नम ना हो । अब गड्ढे को अच्छी तरीके से ढक दें। 20 दिन के पश्चात खड्डे में अच्छी तरह से हिलाये। Organic Farming) 2 महीने में 4 बार इस मिश्रण को अच्छी तरह से जरूर हिलाए। अब आपका जैविक खाद बनकर तैयार हो जाएगा। 90 से 120 दिन के अंदर आपका जैविक खाद तैयार हो जाता है। जैविक खाद का आप खेतों में छिड़काव करें।

Organic Farming | केंचुआ खाद

मैदा की उर्वरता और उत्पादक क्षमता बनाए रखने के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों को संतुलित बनाए रखना आवश्यक होता है। खेतों में केंचुआ खाद डालने से मिट्टी के पोषक तत्व में बढ़ोतरी होती है । Organic Farming) यह मिट्टी की उर्वरकता क्षमता बढ़ाते हैं। केंचुआ खाद में नाइट्रोजन फास्फोरस (nitrogen phosphorus) और पोटाश (potash) के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार के अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। केंचुआ खाद बनाने के लिए आपको एक गड्ढा खोदना होगा।

उस गड्ढा में सूखे पत्ते , गोबर की खाद आदि डालना होगा और आपकी खाद कुछ ही दिन में बनकर तैयार हो जाएगी। 1 एकड़ जमीन पर खेती करने के लिए 2 से 3 टन केंचुआ खाद की आवश्यकता होती है। केंचुआ खाद बनाने की विधि पूरी जाने।

Organic Farming | हरी खाद

हरी खाद का इस्तेमाल जैविक खेती करने के लिए किया जाता है। हरी खाद की सहायता से जैविक खेती करने के लिए जिस खेत में आपको खेती करनी है, उस खेत में वर्षा के समय में अधिक बढ़ने वाली सनई, लोबिया, गवार आदि उगा कर उनको 40 से 60 दिन के पश्चात हल से जुताई कर के खेत में ही रहने देना चाहिए।Organic Farming) ऐसा करने से खेत को हरी खाद मिलती है। ऐसा करने से खेत में नाइट्रोजन स्थिरीकरण जल भंडारण की क्षमता बढ़ती है। इस प्रकार आप हरी खाद की सहायता से जैविक खेती कर सकते हैं।

कृषि अथवा Agriculture लैटिन भाषा का शब्द है, जो एग्रीकल्चर शब्दों तथा कल्चर नामक शब्दों से मिलकर बना है । एग्रीकल्चर में एग्रिक का अर्थ होता है और कल्चर का अर्थ कर्षण होता है। Organic Farming) एग्रीकल्चर का संपूर्ण अर्थ मृदा का कर्षण होता है। कृषि को हम कला, विज्ञान या वाणिज्य भी कह सकते हैं । कृषि कला, विज्ञान या वाणिज्य तीनों का योग है। कृषि की कई परिभाषाएं होती है ।

फसल उत्पादन, फलोत्पादन, पशुपालन व भूमि पर विविध खेती करने की विभिन्न प्रक्रियाओं को कृषि कहा जाता है। कृषि करने के लिए मनुष्य को परिश्रमी होना चाहिए केवल तब ही वह एक किसान बनकर खेती कर सकता है।

Organic Farming | कृषि के प्रमुख चार घटक होते हैं

फसल उत्पादन: फसल उत्पादन कृषि का सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। घटक में धान, गेहूं, जौ दलहन सब्जिया जैसी विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन किया जाता है। Organic Farming) यह मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता जैसे रोटी, कपड़ा, मकान आदि की पूर्ति करता है ।

  • बागवानी : कृषि के इस घटक में बागवानी में विभिन्न प्रकार के खाद्य सुरक्षा, औषधि उद्देश्य, सौंदर्य संतुष्टि जैसे पौधों की खेती की जाती है। बागवानी में छाया, सजावटी, एवेन्यू जैसे बागवानों की स्थापना तथा पौधे लगाए जाते हैं।
  • पशुपालन: पशुपालन भी कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। पशुपालन व्यापार का एक अच्छा साधन बन सकता है। मास, अंडा, चमड़ा, दूध आदि आवश्यक सामग्री को प्राप्त करने के लिए पशुपालन किया जाता है। गाय भैंस पालन, बकरी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन आदि कार्य करते हैं। यह सभी पशुपालन का हिस्सा होते हैं।
  • कृषि वानिकी: कृषि वानिकी भी कृषि एक अहम हिस्सा का होता है, जिसमें फसल उत्पादन तथा वनों को संतुलित बनाए रखने के लिए खेती करने का कार्य किए जाते हैं। कृषि वानिकी के जरिए लोग इस्तेमाल की जाने वाली फसलों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के वनों से उपयोगी वस्तुएं जैसे लकड़ी आदि प्राप्त करते हैं।

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